My Aphrodite

2013 बात शुरू होती है जब में 8th क्लास में था। छुट्टियों के बाद स्कूल शुरू हुए थे। सब बच्चे इस वजह से कुछ दिनों तक मायूस रहते है क्योंकि छुट...

2013
बात शुरू होती है जब में 8th क्लास में था। छुट्टियों के बाद स्कूल शुरू हुए थे। सब बच्चे इस वजह से कुछ दिनों तक मायूस रहते है क्योंकि छुट्टियां खत्म हो गई अब फिर से वही रोज रोज पढ़ना, रोज रोज होमवर्क वगैरा वगैरा का टेंशन। हालाकि वह टेंशन आज हमारे लिए जो टेंशन है उसके आगे कुछ नहीं है। आज हम शायद वह स्कूल वाला टेंशन ज्यादा पसंद करेंगे आज के टेंशन के मुकाबले।

एक दिन ऐसे ही स्कूल चालू थी तब एक लड़की नई नई क्लास में एंटर हुई। मुझे शायद पहली बार में देखते ही नहीं, लेकिन धीरे धीरे उसके प्रति लगाव हुआ जहा तक मुझे याद है। उसका स्वभाव कुछ मुझसे मिलता जुलता ही लगा हमेशा खुद में मस्त रहना, कॉमेडी नेचर, बिंदास स्वभाव। यह भी एक वजह है कि मेरा उस के प्रति लगाव धीरे धीरे बढ़ता गया। वो क्लास में सबसे अच्छी और प्यारी लड़की थी। मैं क्लास में हमेशा कोशिश करता हूं कि करता था कि कैसे मैं उसका ध्यान अपनी तरफ करूं। इस कोसिस में कई बार उल्टा भी हुआ। लेकिन खेर।

उसमें कोई तो बात थी जो मुझे अपने प्रति आकर्षित करती थी। उसका भोला चेहरा, ऐसा प्रतीत होता था की जैसे भोलापन उसमे ओवरलोडेड था। यह भी एक कारण है कि मैं उसे क्यों पसंद करता था।

रोज क्लास में सबसे आखिर में में ही आता था ताकि सबका अटेंशन और साथ साथ उसका अटेंशन भी हासिल कर सकू।

में हर रोज सुबह उसका चेहरा देखता था, उसका चेहरा देखकर न जाने मुझमें एक सुपरनैचुरल पावर आ जाति थी साथ में कुछ एक करंट सा दौड़ता था। में उसके अंदर अपने आप को देखता था। (She's Me and Me is Her type) वो असिमित ऊर्जा का भंडार थी। मैं क्लास में ऐसे ऐसे सवाल टीचर को उठाता था कि सब लोगो का ध्यान मेरी तरफ हो यह सब उसके लिए ही करता था।

हा उसकी एक खास बात थी कि वो हर कॉम्पिटिशन में हिसा लेती थी चाहे वो सिंगिंग हो, डांसिंग हो या गेम्स हो। वो हर चीज में आगे रहती थी। लाइकिंग मी इस तरह की कोई कंपटीशन में इंटरेस्ट नहीं लेता था।

लाइकिन बहुत प्रतियोगिता में भाग भी लियर थर और प्राइज भी जीते थे। कृष्ण जन्माष्टी का फंक्शन था तो उसमें भी डांस में हिस्सा लिया था उसमें वो श्रीकृष्ण बनी थी। बहुत ही प्यारी लग रही थी सच में।

वह क्लास मॉनिटर थी:
मुझे याद है उसे क्लास में मॉनिटर बनाया जाता था। बाकी बच्चे ज्यादा आवाज करते हैं तब जब वो गुस्सा होती थी और कहती थी 'चुप रहो...' तब उसका गुस्सा वाला प्यारा चेहरा और भी ज्यादा प्यारा लगता था। एक बार तो में क्लास में बात करता हुआ पकड़ा गया तो फिर क्या, उसने मुझे भी स्टैंड अप कर दिया... उसने कहा "गोपाल, स्टैंड अप..." मेंने कहा "WTF, Really?" लेकिन सिर्फ एक ही बार हुआ था वो फर्स्ट एंड लास्ट टाइम था। वो बात अलग है की मेने आगे ब्याज सहित उससे बदला लिया।

यह तो हुई भूमिका। मुझे पता नहीं लेकिन अंग्रेजी और कंप्यूटर के विषय में मेरी बहुत ही अच्छी पकड़ थी। उस दो विषय में मेरे हमेशा पूर्ण मार्क्स आते थे। और यह बात मेरे लिए बहुत ही भाग्यशाली साबित हुई। हमारे सबसे पहले इंटरेक्शन की वजह थी अंग्रेजी। Yeah that's right। She was very impressed by my those skills.

तो बात कुछ यूं शुरू होती है, हमारे स्कूल में हर महीने परीक्षा होती थी। तो पहली परीक्षा में ही उसके पास मेरा नंबर आया वह मेरे बाजू में बैठी थी। फिर क्या I've played my part and... Okay okay I'm continuing.

इस प्रकार से मेने उसके इस परीक्षा में पहली बार हेल्प ली और उसकी हेल्प की थी। फिर धीरे धीरे दोनो में बाते होना शुरू हुई। I mean सीधे तो नही लेकिन इशारों और अन्य प्रकार से, क्योंकि क्लास में सीधे तो बात नही कर सकते न। हालाकि पूरे क्लास ही नही बल्कि आधे स्कूल को हमारी बात पता थी लेकिन कोई कुछ बोलता नहीं था।

उसकी हॉस्टल मेरी हॉस्टल की पीछे की तरफ ही थी। और दोनो हॉस्टल के बीच में कुछ 4 से 5 फिट जितनी ही थी। इसी लिए बात होने में ज्यादा दिक्कत नही होती थी। खास बात यह है कि हम चिट्ठी में ज्यादा बाते करते थे। मेरे पास वह चिट्ठियां आज भी संभाल के रखी हुई है।

चालु क्लास में मेरे पास पेन होते हुए भी में उसके पास पेन मांगता था, वो भी चिल्ला कर टीचर के सामने। It was fun. पेन के ढक्कन में भी कभी कभी कोई बात एक दूसरे को कहनी होती थी तो उसको चिट्ठी में लिखकर इस तरीके से बात हुआ करती थी।

School Trip:
दिवाली पर हमारी एक स्कूल ट्रिप हुई थी। हमें द्वारका ट्रेन से जाना था तो सुरेंद्रनगर रेलवे स्टेशन से ट्रेन थी। ट्रिप वाला दिन आया सब स्टूडेंट्स सुरेंद्रनगर स्टेशन आ गए। मेरी आंखों उसे ढूंढने लगी हर तरफ नजर घुमाई लेकिन वो कहीं नहीं दिखी। तो मेने सोचा कहीं इधर उधर होगी बाद में मिल लूंगा। क्योकि वहा बहुत सारे स्टूडेंट्स थे तो सब पर नजर करना संभव नहीं था। फिर ट्रेन चल पड़ी यहां सुरेंद्रनगर स्टेशन से। लड़के और लड़कियां दोनो अलग अलग ट्रेन के डिब्बे में थे।

फिर हम द्वारका पाहुच गए। वहा हम कैंप में रहना था। हमारी ट्रिप शायद 4-5 दिन की थी। वहा समुद्र के बीच में ही रहना था, और भी बहुत कुछ लेकिन यह स्टोरी ट्रिप के बारे में नहीं है तो... मैं इसे स्किप कर रहा हूं। मेरे लिए पुरी ट्रिप में हर तरफ उसे ढूंढता रहा ताकि वह कहीं दिख जाए। लेकिन वो कहीं नहीं दिखी।

स्टोरी में ट्विस्ट यही आता है जब ट्रिप खत्म हुई हम स्कूल वापस आए तब जा कर पता चला कि वो ट्रिप में आई ही नहीं थी। तब मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया की उसने इतनी जरूरी बात मुजे क्यों नहीं बताई? मुझे तो कम से कम बताना चाहिए था ना!

हा में जानता था कि सब बातों का कोई मतलब नहीं था लेकिन मुझे उस समय कुछ ऐसा ही फील हुआ था। अभी मुझे याद नहीं है क्या लेकिन कोई वजह थी जिस वजह से वो नहीं आ सकी थी।
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All,9,Biography,2,Espionage Stories,6,Hindi,4,History,2,Isreal,2,News,4,Operation Orchard,1,Operation Thunderbolt,5,Politics,1,Putin,1,Russia,1,The Kafir,4,
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My Aphrodite
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